Thursday, March 04, 2010

शेर-ज्ञान # 5

अर्ज़ किया है .....

सोने की चादर भी यक़ीनन चढ़ाते ,
'गर अशर्फियाँ नाकाफ़ी ना होतीं.
इतना तो ख़याल रखें ऐ हुज़ूर-ए-आला,
इबादतें तो हमने भी की हैं