Tuesday, May 18, 2010

शेर-ज्ञान # 6

दिल-अज़ीज़ वो ख्वाब सुहाना था ,
क्यूँ फज्र का आमाद होना था
लाखों थे हसीं इस कायनात में ,
क्यूँ आपसे ही इश्क होना था