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निगाहों को रोक लिया था
धड़कनें भी समझ गयी थी
दिल का वो समंदर चुप-चाप था
वो नामुम्किन ख़्वाब सो चुका था
अचानक कहीँ पर कुछ हुआ
और एक ऊंची सी लहर उठी
वो हसीं मुस्कान याद आ गयी
आज फिर तुमसे प्यार हो गया
मेरे होश को कह दो
आज मुझे सोने दे
आज बख्श दे क्योंकि
आज फिर तुमसे प्यार हुआ है
इन पलों को समेट लेने दो
इस एहसास को जी लेने दो
काश लब्ज़ जुबां पे आ पाते
काश ये ख़्वाब सच होता
माना ये ख़्वाब मुमकिन नहीं
पर इक ज़र्रा भी गम नहीं
ख़्वाब ही सही, तुमसे प्यार तो है
और मुझे इस ख़्वाब से प्यार है
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6 comments:
क्या बात है दरोगा जी, आप तो बिल्कुल शायर हो गए। ऐसा क्या हो गया? वैसे बहुत ही उन्दा लिखा है। सलामी के हक़दार है आप * सलाम सलाम सलाम *
@ Godiva
bahut bahut dhanyawaad :)
bas aise hi mizaaz ne karwat le li aur kalam chal uthi :)
[BTW Hindi mein comment kaise likhi? ]
:-| Whats going on guys?
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my first comment on ur blog (preserve it in deep freeze)...nice poetry,nice thoughts...few words and volumes to speak..especially the last stanza speaks a lot abt the whole poem...i wud really luv if u cud make it more lyrical..aur main kaha poem badi sweet hai.
@ Bebo
kuchh nahin.... time time ki baat hai :)
@ Jitendra
sure... keep visiting :)
@ Decipher
First comment nahin hai... mere primitive posts par janab ne nazar daali thi.. phir pata nahin kya hua.... thori berukhi si ho gayi :P
baaki... thnk u.... ab lyrical hone mat bol... itna hi likha gaya .. bahut hai :D
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